कार्ल मार्क्स की जीवनी.... और फिर त्रासदियाँ
जहाँ अन्य सभी विचार और सिद्धांत स्वार्थवश स्थापित किया गए थे, सत्ता और पुरोहित वर्ग के निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए उनका अनुशरण करना सब के लिए बाध्यता थी, वहीँ कार्ल मार्क्स के सिद्धांत नितांत निस्वार्थ भाव से प्रेरित सब के हित के लिए थे. अन्याय, शोषण और अज्ञान से लड़कर उन्होंने दुनिया के सर्वहारा वर्ग को रोशनी दिखाई. उनके सिद्धांतों और विचारों से तो हम सब परिचित हैं ही, पर सर्वहारा वर्ग के क्रांतिकारी दर्शन के जनक मार्क्स का वैयक्तिक जीवन भी भीषण त्रासदियों से आक्रांत था. शासक वर्ग, पुरोहित वर्ग और पूँजीपतियों से ताउम्र संघर्ष करने वाले मार्क्स को अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए भी खूब संघर्ष करना पड़ा था. मार्क्स की जीवनी के इस अंश से हम उनके जीवन की इन परिस्तिथियों को समझ सकते है. नन्दकिशोर नीलम इस जीवनी का अंतिम अंश- ‘और फिर त्रासदियाँ’ आप सब के लिए..... .... और फिर त्रासदियाँ भागीरथ बौद्धिक परिश्रम और भीषण आर्थिक अभावों ने ...