साहित्य रचना: विचार और विचारधारा: लेखकीय प्रतिबद्धता के प्रश्न
साहित्य में विचार और विचारधारा को लेकर लगभग पिछले पन्द्रह दिनों से चली आ रही बहस के मद्देनजर इस विषय पर एक सैद्धांतिक नोट. शायद रचनाकार साथियों के कुछ काम आ सके. नंदकिशोर नीलम '' विचारधारा कलाकार के लिए जीवन और जगत की व्याख्या का औजार है। विभिन्न विचारधाराओं के आधार पर दार्शनिक और साहित्यकार जीवन और जगत की अलग-अलग व्याख्या करते हैं। लेखक इसमें नवीन अर्थ भरते हुए उसे नया रूप और विकास प्रदान करता है। कोई सार्थक लेखन ऐसा नहीं होता जिसके पास जीवन और जगत् ï की व्याख्या करने वाली कोई सामाजिक कसौटी और विचारधारा न हो। हर साहित्य का अपना वैचारिक पक्ष होता है। ” रचनाकार का दृष्टि ï कोण या विचारधारा उसकी सृजनेच्छा और कल्पना में रमकर उसे दिशा प्रदान करती है। इससे उसका सर्जनात्मक विवेक परिष्कृत होता है। विचारधारा-प्रेरित कल्पना और सृजनेच्छा विषयवस्तु के प्रत्यक्षीकरण में योग देकर रचना के रूपाकारों में भी ढलती है। रच...
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